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Sunday, May 29, 2011

इतनी दूरियाँ है बीच मे


इतनी दूरियाँ है बीच मे
के मेरी कल्पना भी नही जाती
किसे कहूँ कैसे दूँ यह संदेस
की वहाँ मेरी धड़कन भी नही जाती
न खत ही आया कोई ना आया कोई पैगाम
यह किस जहाँ मे पहुचे हो तुम कि
मेरी आवाज़ भी तुम तक नही जाती
स्वपन सा सुंदर संसार दिखा कर
मेरे अंतर मे मोती बसा कर
क्यो छोड़ गये मुझे दिखा स्वप्न संसार
अब मेरी अश्रु धार भी
तुम्हारी अँगुलिया पोंछ नही पाती

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