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Wednesday, February 22, 2012

पुरानी डायरी



पुरानी डायरी के कुछ पीले पन्नो से 
बीते लम्हे कभी दस्तक देते हैं 
उन पन्नो के बीच रखा 
सूखा गुलाब
फिर महक जाता है
और एक पुराना ख़त
माफ़ी का, दिल को फिर छू जाता है
और उस बीती सुबह की सुनहली धूप 
मेरी खिड़की पर  फिर उतर आती है
और तुम्हारे साथ गुजरी हर  रात 
मेरी पलकों में ग़ज़ल सी गुनगुनाती है 

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