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Wednesday, June 6, 2012

जब जब उतरती है


जब जब उतरती है
वसुधा के अंचल पर रात नई
मन को आलोडित करती है फिर फिर बात  वही 
यूं तो समय ने देखी होंगी 
कितनी  राते नई नवेली 
पर थम गया था एक पल को काल भी
देख वो मृदु छवि अनछुई 
मिलन था या वो थी बिछोह की रात  निर्मोही
मन आज भी उसांस भर रह जाता है
सोचता है उन नैनो में थी भी या नही बात कोई 

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