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Wednesday, January 30, 2013

चलो पुण्य तिथि है आज

चलो पुण्य  तिथि है आज , आज आँखे कुछ नम कर लें 
कोई था गाँधी भी आज याद कर लें 
त्यौहार सा मन है , आखिर छुट्टी है बहुत फुर्सत है 
चलो आज फिर  बापू को याद कर लें 
आज आँखे कुछ नम कर लें 

बहुत जलाई बसें , पुतले फूँके 
बहुत तोड़े हैं कारों  के शीशे
खाया बहुत जी भर  फाइलों  के भीतर 
आज मन को  कुछ शुद्ध कर लें 
चलो आज आँखे कुछ नम कर लें 
चलो फिर बापू को याद कर लें 

कहाँ पड़ा है वो खद्दर का चोला 
जाने कहाँ रख दी है वो उजली टोपी
सत्य के प्रयोग रखें हैं धूल  में दबे 
चलो पुरानी  अल्मारी  साफ़ कर लें
चलो आज आँखे कुछ नम कर लें 
चलो फिर बापू को याद कर लें 

बच्चो का मन है घूमने का 
राजघाट ही जाया जाए 
कोई था गाँधी , सादा, सरल 
धरती पर जन्मा एक देवता 
उन्हें भी बतलाया जाए 
चलो आज आँखे कुछ नम कर लें 
चलो फिर बापू को याद कर लें 

संकल्प लिया था बापू ने 
सत्य का अहिंसा का निर्वस्त्र रहने का 
जब तक एक तन भी भारत में नग्न रहे 
उसे भी याद कर लें 
शापिंग मॉल  के बाहर 
खड़े भारत को भी नमस्कार कर लें 
चलो आज आँखे कुछ नम कर लें 
चलो फिर बापू को याद कर लें 

मनीषा 

3 comments:

  1. बेहद सादगी और मासूमियत से भरी बहुत भावपूर्ण और मन छूने वाली रचना।
    सस्नेह।
    ------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार ३० जनवरी २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. सुंदर भावों से सजी रचना ।

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