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Monday, February 25, 2013

मेरे गीत भी मुस्कुराते हैं

ज़िन्दगी की संकरी गलियों में 
कुछ रिश्ते अनायास ही आँचल से लिपट जाते हैं 
और मेरी तन्हाई कुछ अकेली हो जाती है 
मन को छूते हैं कुछ पल  हौले हौले से 
और एक  सुबह निखरी निखरी धूप  
मेरे कंधो पर रख देती है हाथ 
कितना सुखद होता है 
कभी अपने ही अतीत से मिलना 
अपने बचपन में लौटना 
जब मिलते हैं मीत पुराने 
मुझे मेरी याद दिलाते हैं 
और मेरे गीत  भी मुस्कुराते हैं 

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