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Wednesday, February 27, 2013

याद है मुझे आज भी

याद है मुझे आज भी 
रात  में तुम्हे जान तकिये से यूं लिपटना मेरा 
वह  किसी और शख्स में तुम्हे देख ठिठकना मेरा 
कभी तुम्हारे ख्यालो में भटक मुस्कुराना मेरा 
और तुम्हारे खत को किताबो के बीच रख  पढना मेरा 

अक्सर तुम्हे याद कर और तन्हा हो जाना मेरा 
फिर दिल को बहला फुसला महफ़िल में खिलखिलाना मेरा 
हर सुबह डाकिए की राह  निहारना मेरा 
और हर शाम के साथ मायूस हो जाना मेरा 

तेरी जुदाई को इम्तिहान समझ सहना  मेरा 
उस  दर्द में भी वो सहेलियों संग मुस्काना मेरा 
कभी तनहा तनहा आँसू  बहाना मेरा 
कभी हर आहट  पर वो आँखों के अश्क छुपाना मेरा 

तेरे आने की खबर पर वो इतराना मेरा 
इन कदमो का थिरकना  वो हाथों का कांप  जाना मेरा 
तुमसे मिलने के लिए वो बहाने से घर से निकलना मेरा  
और तुम्हे सामने पा  वो रो पड़ना मेरा

मनीषा 

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