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Thursday, June 6, 2013

शब्द कितने अर्थहीन

शब्द कितने अर्थहीन
हारते जाना पल पल
इस  समय चक्र में
शब्द मय  भुलावे सभी
व्यर्थ का अदान प्रदान
दिलासे सभी
अश्रु पूरित चेहरों को लौटा नही
पाते फिर वही हँसी वही ख़ुशी
जीवन अंत या अनंत
शब्दों में बंधा एक प्रश्न चिन्ह
निरूत्तर सा सुबह शाम मन को घेरता सा

शब्द कोष वेद  उपनिषद
खंगाल डाले सभी
रीती -रिवाजों के बन्धन
भी डाले सभी
पर कहाँ मिलता है
उत्तर कहीं
मानो  तो सब है उस पार
न मानो  तो कुछ नहीं
अग्नि जल वायु आकाश धरा
सब खोजा बहुत पुकारा भी
मिलता है तो सिर्फ छलावा
एक भुलावा
जीने का बहाना
जीवन  में बस चलते जाना
अपने  पथ पर ढलते जाना
श्वास रुकने तक बस
उत्तर खोजते जाना


मनीषा 

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