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Thursday, December 5, 2013

प्रभात

जाड़ो की नरम रज़ाई
और अलसाई सी एक अँगड़ाई
हाथों में गर्म चाय का प्याला
और पांव के  तलवे सहलाती नरम धूप
 ज़हन में तुम्हारा ख्याल
और नज़र में उतरता
आज का अखबार
बस इतनी सी कहानी में
बीत गई एक और खुशनुमा प्रभात
मनीषा 

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