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Saturday, December 28, 2013

मैंने तुमसे मोती पाए

मैंने तुमसे मोती  पाए
जीवन के इस संघर्ष में
रहे तुम एक सहज दिलासा
मैंने तुमसे मोती पाए
जब जब मुझे तम ने घेरा
तुमने मेरे पथ पर बिखेरा उजेला
मैंने तुमसे मोती  पाए
थक कर चूर हो गई जब पाँखे
तुमने मेरे लिए आसमां झुकाए
मैंने तुमसे मोती  पाए
बहुत  दुर्गम  थी मेरी राहें
तुमने मेरे हर पग मेरे छाले सहलाए
मैंने तुमसे मोती  पाए
हमकदम कैसे कहूँ  तुम्हें
तुम हो अनजान, पराए
फिर भी इस दुर्गम पथ पर 
तुमने मेरे सन्नाटे बुझाए
मैंने तुमसे मोती  पाए।।

मनीषा वर्मा

#गुफ्तगू

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