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Saturday, December 28, 2013

जन्मों का रिश्ता

सात फेरे और बस
बीते बीस साल
का जीवन नगण्य
ॐ भूर्भव: स्व:
की  ध्वनि के साथ
हवन कुंड कीअग्नि में स्वाहा
कितना असत्य है यह
या कितना सत्य था वह
कहते हैं सर्व त्याग दो
तन से , मन से , धन से सम्पर्ण
देहरी लाँघ बन जाना मर्यादा सबकी
बेटी से बहु
कन्या से ब्याहता
इक रात का सफर
और जन्मों  का रिश्ता
क्षण  में बंध गया
और एक कागज़ से टूट गया
कैसा नाता है यह ?
मानो तो सबकुछ
न मानो तो कुछ नहीं …
मनीषा 

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