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Tuesday, January 28, 2014

अपने

आज कुछ अपने मिले
कुछ बिछड़े रिश्ते मिले
अपनों में पराए  मिले
परायों में अपने मिले

कुछ आँखे भीगीं
कुछ शाखें सूखी
कुछ बातें निकली
कुछ खबरें उड़ी

आज पुराने किस्से बूझे
आज नए संवाद मिले
कुछ तुमने वादे बरते
कुछ मैंने रिवाज़ निभाए

चलो फिर बिछड़े  मीत  मिले
जीवन के कुछ गीत मिले
बुज़ुर्गों के आशीष मिले
बच्चों के संवाद  मिले


आज ज़िंदगी फिर लौटी
आज रौशनी फिर फूटी
मेरी मुझे पुकार मिली
फिर अपने से मैं आप मिली

बचपन के मीत  मिले
मेरे होंठो को फिर वही  गीत मिले
दुनिया की भीड़ में तुम मिले
फिर एक बार मेरे शब्दों को अर्थ  मिले

 मनीषा 

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