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Wednesday, January 29, 2014

कुछ पंक्तियाँ

 मैं तेरी सांसो में बसना चाहती हूँ इस कदर
कि तेरे एहसास में भी रहूँ और तुझे भी न हो खबर

देख तेरे प्यार की  इंतहा ने क्या कर दिया
मुझे मेरे आप से तन्हा कर दिया


मेरे ख्याल भी कहाँ अपने रहे
वो भी तो बेमुरव्वत तेरे ही हो गए

बार बार मेरे इश्क़  की इंतहा न पूछ मुझसे
न खुद से रिश्ता रहा न रहा रब से

तुझको पा कर शायद तुझसे महरूम हो जाती
ये दर्द तुझे खोने का नही मेरे साथ बैठे हर ख्याल का है

मेरे तरन्नुम में उतर आई है तेरे दिल की बात
आज इसी बहाने से कह  तो लेने दे मुझे भी अपने दिल की बात

सारा जहाँ तो कम है तेरी नज़र करने के लिए 

तूने माँगा भी तो क्या माँगा दीवाने से चाहत के लिए 

मुझे बेखबर इसी  गफ़लत  में रहने दे
तेर इश्क़ की  जुस्तजू यूं ही रहने दे

मनीषा


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