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Tuesday, March 25, 2014

होली

तेरे एहसास के रंग से भिगो ली
मैंने देह चुनर इस फाल्गुन में अपनी
खेली तेरे संग मैंने कुछ ऐसी प्यारी होली
छोड़ा जग सारा बस  तेरे संग हो ली 

Saturday, March 15, 2014

आया है चुनाव भईया आया है चुनाव

नेता बिक गए
अभिनेता बिक गए
बिक गए सब पत्रकार
आया है चुनाव भईया
आया है चुनाव

बड़बोले नेता
बड़े बड़े अभिनेता
दाढ़ीवाले कुर्ते वाले पत्रकार
निकले सड़क सड़क
छाने हैं गली गली
जोड़े दुइ दुई  हाथ
मांगे सब मतदान

आया है चुनाव भईया
आया है चुनाव

कोई घूमे गाड़ी में
कोई उड़ावे जहाज
कोई बांधे  इम्पोर्टेड चप्प्ल
घूमे द्वार द्वार
आई रोड शो की बाहार
भैया आया है चुनाव
जनता भई  अब माईबाप

आया है चुनाव भाई
आया है चुनाव

रैली पर रैली भई
बहस पर बहस
चर्चे पर चर्चे
बंटे  पर्चे पर पर्चे
गांव गांव
गली गली पोस्टर लगे
चुन लो भईया हमरे को
हम देंगे विकास
भईया हम देंगे विकास
जनता भई  अब माईबाप

आया है चुनाव भईया
आया है चुनाव

कोई इसको मना रहा है
तो कोई उसको पटा  रहा है
कोई सीटों पर रूठा
तो कोई समर्थन के लिये इतराया
बहुत  हो रहा आदान प्रदान
परदे के पीछे भईया

आया है चुनाव भईया
आया है चुनाव

वोट बहुत  कीमती हमारा
जो दौड़े सरपट सब नेता
नंगे पांव नंगे सर
दे देते द्वार पर ही दर्शन
पीते पानी भी नल का
कर लेते हमरे घर ही  भोजन
चलते रोज़ सौ सौ योजन
बैठ लेते टुटली खाट पर
 विद नो ऑब्जेक्शन
लगता काली है पूरी दाल
या कुछ तो दाल में काला

आया है चुनाव भईया
आया है चुनाव

रखना थोड़ा ध्यान
रे बाबू रखना थोड़ा  ध्यान
किसकी जीत में जीत
किसकी हार  में हार
कब तुम महान
और कब तुम लाचार
कब तक सड़क टूटी
कब से नही आई बिजली
कैसा पानी का कारोबार
रखना भईया ध्यान
आया है चुनाव भईया
आया है चुनाव

किसने कितने कफ़न बेचे
किसने  कितने बम गोले खरीदे
किसने मिलाया दुश्मन से हाथ
कैसे किया जहाज़  का व्योपार
किसने किया कहाँ घपला भारी
किसके पीछे कौन कॉर्पोरेट खददर धारी
किसने पीढ़ियां  अपनी तारी

रखना भईया ध्यान
आया है चुनाव भईया
आया है चुनाव

कौन रहा सब देख कर मौन
किसने संसद हिला डाली
किसने किए थे क्या क्या वादे  भारी
वा की  जोरू वा की  भौजाई
किसके  कितने भतीजे भाई 
किसका है लठ  व्योपार  जारी
किसकी है क्या रिपोर्ट कार्ड
अब जनता के हाथ आई कमान
देना भइया  ध्यान
आया है चुनाव भईया
आया है चुनाव

नेता बिक गए
अभिनेता बिक गए
बिक गए सब पत्रकार
आया है चुनाव भईया
आया है चुनाव

मनीषा 

फाल्गुन मास का श्रृंगार

फाल्गुन मास का श्रृंगार 
इंद्रधनुषी रंगो का प्यारा सा त्योहार 
गुझिया की मिठास कांजी की खटास 
आप सबको मुबारक हो इस होली 
पर गुलाल की रंग भरी बौछार 
manisha

Thursday, March 13, 2014

आया फाल्गुन आई होली

आया फाल्गुन
आई होली
टेसू के फूलों से मदहोश होली
पिचकारी की धार वाली होली
रंगो के बादल वाली होली
गुजिया कांजी वाली होली
माँ के आंगन की होली
बाबुल के प्यार की होली
भइया के दुलार की होली
बुलाती है बार बार मुझे
वो पहले प्यार वाली होली
सजना के आंगन वाली पहली होली
वो मन मनुहार वाली
मस्ती भरी होली
परदेस में याद आती है
मुझे अपने देस की होली

मनीषा

Monday, March 10, 2014

कटाक्ष से

झुकी आँखों में स्वप्न संजोए 
लाज भरे कदमों से आई थी 
तुम्हारा प्रांगण संजोने 
हर कटाक्ष से 
थोडा भीतर से मरती रही
बिछौने से तुम्हारा यूँ उठ कर चले
जाना
मेरी आँखों के कोरों से पानी सा बहता रहा
फिर भी अश्रु छिपाती रही
कभी पसंद ना आईं मेरी रोटियाँ
कभी पसंद ना आया श्रृंगार
और मैं खुद को बदलती रही
तुम्हारी नज़रों के लिए ढलती रही
रोज मिटती रही
मिट्टी सी रुंधती रही
मन की चोट के निशां नही होते
इसलिए हँसती रही
तुम्हारा आंगन संजोती रही

भीचें होंठ तनी भुकुटि 
वो आँखों में अनुमोदन 
वो डायरी में पांच रूपये का भी हिसाब 
वो हल्के से इज़ाज़त दे देना 
वो बच्चों के शोर पर तुम्हारा 
नाराज़ हो जाना 
मेरा पाँव छू माफ़ी माँगना 
और फिर हमबिस्तर हो जाना 
मैं रोज़ थाली सी परसती रही 
करवा चौथ रखती रही 
जीवन की गठरी में गांठे कसती रही 
रोज मिटती रही 
मिट्टी सी रुंधती रही 
मन की चोट के निशां नही होते 
इसलिए हँसती रही 
तुम्हारा आंगन संजोती रही
manisha

Thursday, March 6, 2014

सखि तेरी पीर मेरे मन की

सखि  तेरी पीर मेरे मन की

एक घर छज्जे वाला
सुनहरी रेलिंग वाला
और छज्जे पर एक झूला
झूले के आगे कांच की मेज़
और एक कप चाय
इतनी सी कहानी
सुवर्णलता सी
हर मन के भीतर घुमड़ती
हर मन में एक चाह
कुछ छोटी कुछ बड़ी सी
तू भी अधूरी मैं भी अधूरी
सखि  तेरी पीर मेरे मन की

दिन भर कोलाहल
धूरी सी ज़िन्दगी
आंचल के साए  फैलाती समेटती
ज़िंदगी के ताने बाने में मैं  को खोजती
कुछ पूरी सी तू कुछ पूरी सी मैं
सखि  तेरी पीर मेरे मन की
मनीषा 

Monday, March 3, 2014

मोहब्ब्त जब रूह को छू जाए ,

मोहब्ब्त जब रूह को छू जाए ,
काफिर दिल भी खुदा की बंदगी में झुक जाए

तेरे पास जो मेरे लम्हे हैं उन्हें सम्भाल कर रखना
तेरी तन्हाइयों में तेरा दिल बहलाएँगे
जब ज़िंदगी में तेरे अपने साथ होंगे, महफिल होगी जाम होंगे
तब दिल के किसी कोने में तेरे हम भी मुस्कुराएंगे

उससे मिल कर जो फिर जुदा हुई
कुछ तो दर तक अपने पहुंची
कुछ वहीं छोड़ आई
आ कर देखा खाली मकां अपना तो याद आया
खुद को उसी के पास भूल आई

ज़ुबां खामोश रहती है दिल से दिल की बात होती है
आँखें कह देती है उनसे अपने दिल का हर हाल
उनके दीदार की ज़रुरत ही महसूस नही होती
हर शह में बस जाती है जब तस्वीर -ए -यार