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Wednesday, March 8, 2017

निज-स्वप्न की उड़ान

तुम उड़ना
निज-स्वप्न की उड़ान
बिटिया तुम उड़ना
हो पथ पर आदित्य आक्रांत
या छाए अम्बुद घनेरे हों
भय त्याग निर्भीक तुम बढ़ना
तुम उड़ना बिटिया
निज-स्वप्न की उड़ान
राह बांधे मन कभी रोकें पग भूलभुलावे सभी
हो कंटक की चुभन कहीं
अविचिलित अविरल तुम बढ़ना
तुम उड़ना बिटिया
निज-स्वप्न की उड़ान
पंख कभी भारी हों मंद हो गति कभी
लेना तुम पल को विश्राम कहीं
फिर स्मित मुस्कान लिए तुम बढ़ना
तुम उड़ना बिटिया
निज-स्वप्न की उड़ान

पंख बाँध ले जाए व्याध कभी
मिले ना तुम्हे नभ विस्तृत विशाल कभी
खोना मत निज पर विश्वास कभी
तुम उङना बिटिया
नित परवान नई
तुम उड़ना 
निज-स्वप्न की उड़ान 
छोड़ जाएं चाहे पथ पर मनमीत सभी
राह हो जाए भूलभुलैया सी कभी
मत भूलना निर्मल संस्कार
बिटिया तुम उड़ना
निज-स्वप्न की उड़ान
सरिता सा निर्मल पथ हो
पुष्प रंजित तुम्हारी डगर हो
पितृ आशीष का श्रृंगार लिए
तुम बढ़ना बिटिया
तुम उड़ना
निज-स्वप्न की उड़ान

ललचाए तुम्हे जो विकृत पथ की सरल माया 
विचारो जो पथ पर क्या खोया पाया 
निज हृदय में ढूंढ लेना तुम मेरा तुम पर विश्वास 
और कर जाना हर बाधा पार 
तुम उड़ना बिटिया
निज-स्वप्न की उड़ान 
मनीषा
8 /3 /2017

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